बच्चे पैदा नहीं कर सकती इसलिए........

Greater Noida:बिसरख पुलिस ने पिछले रविवार को लापता हुई बच्ची (डेढ़ साल) को शनिवार को सकुशल ढूंढ लिया और आरोपी महिला और उसके प्रेमी को गिरफ्तार कर लिया। आरोपियों की पहचान अलीगढ़ की रेनू और हाथरस के दिनेश के रूप में हुई है। महिला नसबंदी करा चुकी है, इसलिए उसकी कोई संतान नहीं हो सकती थी। इस वजह से उसने बच्ची का अपहरण किया था। आरोपी और पीड़ित महिला एक ही सोसाइटी में घरेलू सहायिका का काम करती थीं।
युसूफपुर चकशाहबेरी की रीता गौड़ सिटी 14 एवेन्यू में घरेलू सहायिका हैं। 16 मार्च को उनकी बेटी सौम्या लापता हो गई थी। रीता ने कोतवाली में शिकायत की थी कि उनकी सहकर्मी रेनू और उसका साथी दिनेश बेटी को ले गए हैं। पुलिस ने मामले में पांच टीमें बनाई थीं। 100 से अधिक सीसीटीवी फुटेज में रेनू को बच्ची ले जाते हुए देखा गया। सर्विलांस और स्थानीय सूचना के आधार पर पुलिस को पता चला कि रेनू और दिनेश पहले ईंट-भट्टों पर काम करते थे।
पुलिस ने कासगंज, अलीगढ़, संत कबीरनगर, गाजियाबाद, राजस्थान और हरियाणा के भट्टों पर सर्च ऑपरेशन चलाया। डीसीपी सेंट्रल नोएडा शक्ति मोहन अवस्थी का कहना है कि 150 से अधिक भट्टों पर सर्च ऑपरेशन चलाया गया। सूचना मिली कि हरियाणा के भिवानी के खोड़ी इलाके में महिला और पुरुष छोटी बच्ची के साथ काम कर रहे हैं। आरोपियों का कुछ सामान ग्रेटर नोएडा में छूट गया है। इसे लेन के लिए वे आने वाले हैं। इस सूचना के आधार पर शनिवार को पुलिस ने बिसरख स्थित आम्रपाली रिवर व्यू सोसाइटी से दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
पूछताछ में रेनू ने बताया कि उसकी शादी 25 साल पहले राजवीर से हुई थी और उसके चार बच्चे हैं। चार साल पहले उसकी मुलाकात दिनेश से हुई थी। वह पति और बच्चों को छोड़कर दिनेश के साथ नोएडा में सहमति संबंध में रहने लगी थी। महिला पहले नसबंदी करा चुकी है। इस कारण रेनू और दिनेश को कोई संतान नहीं हुई है। इससे दोनों मानसिक रूप से परेशान थे, जबकि रीता के दो बच्चे लड़का और लड़की हैं। वह अपने पति से अलग किराये के मकान में रह ही हैं। इसी कारण उन्होंने मिलकर रीता की बेटी को अगवा करने की योजना बनाई। जब रीता काम पर चली गईं तो दोनों बच्ची को उठा ले गए और अपने मोबाइल और सिम तोड़कर फेंक दिए। आरोपी हरियाणा में जाकर ईंट-भट्टे पर काम करने लगे थे। झुग्गी बनाकर रह रहे थे।