"दिल्ली हाईकोर्ट ने ट्यूशन टीचर को नाबालिग छात्रा के साथ बलात्कार के आरोपों पर जमानत से इनकार किया"

दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने शिक्षक को एक नाबालिग छात्रा से बलात्कार करने के आरोप में जमानत देने से इनकार कर दिया है। आरोपी शिक्षक, जो छात्रा को शिक्षण देता था, कहता है कि उसके और पीड़िता के बीच संबंध सहमति से बने थे। शिकायतकर्ता लड़की का दावा है कि वह इस बीच दो बार गर्भवती हुई, लेकिन आरोपी ने दोनों बार गर्भपात कर दिया। आरोपी पहले से ही विवाह कर चुका था।
जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने कहा कि पीड़िता कथित यौन उत्पीड़न के समय केवल 14 वर्ष की थी और उसकी सहमति कानून की दृष्टि से सहमतिहीन थी और आरोपी उसका शिक्षक होने के कारण प्रभावशाली था। अदालत ने आरोपी की जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा, "याचिकाकर्ता के वकील के इस तर्क में कोई दम नहीं है कि दोनों पक्षों के बीच संबंध सहमति से बने थे, क्योंकि 2012 में यौन उत्पीड़न की पहली घटना के समय पीड़िता की आयु मात्र 14 वर्ष थी और कानून की नजर में उसकी सहमति कोई सहमति नहीं थी"।:''
हाईकोर्ट ने कहा, ''यह अदालत इस बार पर भी गौर करती है कि उस समय छात्रा का टीचर होने के कारण आरोपी प्रभावशाली स्थिति में था क्योंकि वह (पीड़िता) उस कोचिंग सेंटर में पढ़ती थी जहां वह पढ़ाता था, इसलिए जमानत याचिका खारिज की जाती है।''
शिकायतकर्ता ने कहा कि 2012 में जब वह नौवीं कक्षा में पढ़ती थी, तो एक शिक्षक ने उसका यौन उत्पीड़न किया था। उसने बताया कि 2017 तक शिक्षक उसे 2017 तक शारीरिक संबंध बनाने का झांसा देता रहा और उसे आश्वासन देता रहा कि वे शादी कर लेंगे।
शिकायतकर्ता का दावा है कि वह इस बीच दो बार गर्भवती हो गई, लेकिन आरोपी ने उसका गर्भपात कर दिया और उसे पता चला कि आरोपी पहले से ही शादी कर चुका था। भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और पॉक्सो (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम) के तहत शिकायत दर्ज की गई।
अदालत ने कहा कि आरोपों की गंभीरता और इस तथ्य को देखते हुए जमानत देने का कोई आधार नहीं था। अदालत ने कहा कि आरोपी ने पीड़िता से यह भी छुपाया कि वह पहले से ही शादीशुदा था और उसका झूठा वादा करके उसका कई बार यौन उत्पीड़न किया, जबकि पहले से ही शादीशुदा होने के कारण वह उससे शादी नहीं कर सकता था।