ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में बड़ा खुलासा: बर्खास्त कर्मचारी धर्मेंद्र वर्मा कर रहा अनधिकृत काम

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में सनी यादव की मनमानी का पर्दाफाश – बाहर निकाले गए व्यक्ति को कराया जा रहा अनधिकृत रूप से काम
ग्रेटर नोएडा, 5 जुलाई 2025 | ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में तैनात सनी यादव (मैनेजर) की कार्यप्रणाली एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है। ताजा खुलासे के मुताबिक, उन्होंने धर्मेंद्र वर्मा नामक एक व्यक्ति को प्राधिकरण कार्यालय में अनधिकृत रूप से काम पर लगा रखा है, जिसे वर्षों पहले प्राधिकरण द्वारा सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि धर्मेंद्र वर्मा की न तो कोई नियुक्ति है और न ही कोई अधिकृत आदेश, फिर भी वह प्राधिकरण कार्यालय में बैठकर शिकायतकर्ताओं से बातचीत करता है और कई बार महत्वपूर्ण फाइलों तक भी उसकी पहुंच देखी गई है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, धर्मेंद्र वर्मा की प्राधिकरण से बर्खास्तगी के बाद वह माननीय उच्च न्यायालय की शरण में गया था, लेकिन अब तक कोर्ट के किसी आदेश के आधार पर उसे ड्यूटी ज्वाइन करने की आधिकारिक अनुमति नहीं दी गई है। इसके बावजूद वह सनी यादव के संरक्षण में खुलेआम कार्यालय में कार्यरत है।
इस अनियमितता पर सवाल खड़ा करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा –
"जब किसानों, आवंटियों और आम नागरिकों को बिना अनुमति
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में सनी यादव की मनमानी का पर्दाफाश – बाहर निकाले गए व्यक्ति को कराया जा रहा अनधिकृत रूप से काम
ग्रेटर नोएडा, 5 जुलाई 2025 | विशेष रिपोर्ट
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में तैनात सनी यादव (मैनेजर) की कार्यप्रणाली एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है। ताजा खुलासे के मुताबिक, उन्होंने धर्मेंद्र वर्मा नामक एक व्यक्ति को प्राधिकरण कार्यालय में अनधिकृत रूप से काम पर लगा रखा है, जिसे वर्षों पहले प्राधिकरण द्वारा सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि धर्मेंद्र वर्मा की न तो कोई नियुक्ति है और न ही कोई अधिकृत आदेश, फिर भी वह प्राधिकरण कार्यालय में बैठकर शिकायतकर्ताओं से बातचीत करता है और कई बार महत्वपूर्ण फाइलों तक भी उसकी पहुंच देखी गई है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, धर्मेंद्र वर्मा की प्राधिकरण से बर्खास्तगी के बाद वह माननीय उच्च न्यायालय की शरण में गया था, लेकिन अब तक कोर्ट के किसी आदेश के आधार पर उसे ड्यूटी ज्वाइन करने की आधिकारिक अनुमति नहीं दी गई है। इसके बावजूद वह सनी यादव के संरक्षण में खुलेआम कार्यालय में कार्यरत है।
इस अनियमितता पर सवाल खड़ा करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता कर्मवीर नागर प्रमुख ने कहा –
"जब किसानों, आवंटियों और आम नागरिकों को बिना अनुमति प्राधिकरण कार्यालय में प्रवेश तक नहीं करने दिया जाता, तब एक बर्खास्त व्यक्ति को किस अधिकार से सनी यादव ने कार्यालय में बैठा रखा है?"
शिकायतकर्ता ने यह भी सवाल उठाया कि –
"धर्मेंद्र वर्मा को सैलरी कहां से मिल रही है? यदि कोई भुगतान नहीं हो रहा तो क्या वह बिना किसी आर्थिक लाभ के सेवा दे रहा है? या फिर इसकी सैलरी किसी काली कमाई से दी जा रही है?"
इसके साथ ही यह भी एक गंभीर मुद्दा है कि प्राधिकरण जैसे संवेदनशील सरकारी कार्यालय में एक अनधिकृत व्यक्ति की मौजूदगी से दस्तावेजों की सुरक्षा और गोपनीयता भी खतरे में पड़ रही है। क्या ऐसे व्यक्ति को विभागीय गोपनीय दस्तावेज सौंपना नियमों के अनुरूप है?
इस मामले ने प्राधिकरण की कार्यप्रणाली और भ्रष्टाचार की जड़ों को एक बार फिर उजागर कर दिया है। अब देखना यह है कि शासन-प्रशासन इस पूरे मामले की जांच किस स्तर पर करता है और क्या कोई ठोस कार्रवाई होती है या यह मामला भी बाकी मामलों की तरह फाइलों में ही दफन हो जाएगा?
प्राधिकरण कार्यालय में प्रवेश तक नहीं करने दिया जाता, तब एक बर्खास्त व्यक्ति को किस अधिकार से सनी यादव ने कार्यालय में बैठा रखा है?"
शिकायतकर्ता ने यह भी सवाल उठाया कि –
"धर्मेंद्र वर्मा को सैलरी कहां से मिल रही है? यदि कोई भुगतान नहीं हो रहा तो क्या वह बिना किसी आर्थिक लाभ के सेवा दे रहा है? या फिर इसकी सैलरी किसी काली कमाई से दी जा रही है?"
इसके साथ ही यह भी एक गंभीर मुद्दा है कि प्राधिकरण जैसे संवेदनशील सरकारी कार्यालय में एक अनधिकृत व्यक्ति की मौजूदगी से दस्तावेजों की सुरक्षा और गोपनीयता भी खतरे में पड़ रही है। क्या ऐसे व्यक्ति को विभागीय गोपनीय दस्तावेज सौंपना नियमों के अनुरूप है?
इस मामले ने प्राधिकरण की कार्यप्रणाली और भ्रष्टाचार की जड़ों को एक बार फिर उजागर कर दिया है। अब देखना यह है कि शासन-प्रशासन इस पूरे मामले की जांच किस स्तर पर करता है और क्या कोई ठोस कार्रवाई होती है या यह मामला भी बाकी मामलों की तरह फाइलों में ही दफन हो जाएगा?